भूकंप
धरा के कंपन से, जीवन हिल जाता है,
भूमंडल के गर्जन से, अविचलता हिल जाता है।
भूकंप की चपेट में, दिलों की धड़कनें थम जाती हैं,
चीखें गूंज उठती हैं, भय के सागर में डूब जाती हैं।
बचपन की मुस्कानें, खेल-खिलौने सब खो जाते हैं,
सामूहिक रोना, विरासत के सपने धो जाते हैं।
भूकंप के हालात में, साथियों की साथ सब कुछ टूट जाता है,
परंपरागत संरचनाओं का, विलुप्त होना हकीकत बन जाता है।
लेकिन उत्तेजना की किरणें, अड़ियल दिलों को झिलमिलाती हैं,
सहयोग की भावना, दुखी मनों को संजीवनी दिखलाती हैं।
भूकंप के बादल में, समृद्धि की किरणें छिपी होती हैं,
एक साथ आगे बढ़ने की, संघर्ष की राह दिखाती हैं।