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10 Jul 2024 · 1 min read

भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर के ज़ालिम थपेड़ों को,

भुला बैठे हैं अब ,तक़दीर के ज़ालिम थपेड़ों को,
मगर मसरूफ़ हैं फिर ‘नील’ की क़िस्मत बनाने में ।
✍️नील रूहानी

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