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9 Jun 2024 · 1 min read

भी जीत का हकदार हैं.

भी जीत का हकदार हैं.
भविष्य खिचता जा रहा…वर्तमान रिसता जा रहा ।
अतीत में भूतकाल है….व्यथित में कपाल हैं ।
अनियोजित आज हैं…विलासताओ का राज है ।
धैर्य, परिणाम की परिधि पर…निरतंरता की डोर मर्जी पर ।
नीरसता चारों ओर हैं..अज्ञान का तम घनघोर हैं ।
मेहनत अलसाई जा रहीं….किश्मत आजमाई जा रहीं ।
कुण्ठित मन सघन हैं….तठस्थ पर लगन हैं ।
एक बार तू कर प्रण..फिर कूद जा कुरू रण ।
दिखा करके जो तू सोचता..प्रश्न जो तुझे रोज नौचता ।
पीछे मत देख हालात को..दृण से भगा हर बलात को ।
निश्चित हार की भी हार हैं..आखिर
तू भी जीत का हकदार हैं ।तू भी जीत का हकदार हैं ।
हाँ तू भी जीत का हकदार हैं ।

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