भीम उड़ान
हमने जब
लिखना पढ़ना कर
मनचाही ऊंची उड़ान
भरनी चाही
बाबा साहेब
उपलब्धियों के
न लांघे जाने योग्य
मील के पत्थर के रूप में
हौसला देते खड़े मिले
मनुवादी रोड़ों के बीच
राह पाने की
एक पुष्ट परम्परा
तैयार मिली उनसे लगकर
बावजूद इसके
रोड़े घट हट नहीं रहे
जो जुटाए जा रहे निरंतर
वर्णगंधी समाज के हकमारों द्वारा
विरुद्ध हमारे
भीम उड़ान के।