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26 May 2024 · 1 min read

भीम उड़ान

हमने जब
लिखना पढ़ना कर
मनचाही ऊंची उड़ान
भरनी चाही

बाबा साहेब
उपलब्धियों के
न लांघे जाने योग्य
मील के पत्थर के रूप में
हौसला देते खड़े मिले

मनुवादी रोड़ों के बीच
राह पाने की
एक पुष्ट परम्परा
तैयार मिली उनसे लगकर

बावजूद इसके
रोड़े घट हट नहीं रहे
जो जुटाए जा रहे निरंतर
वर्णगंधी समाज के हकमारों द्वारा
विरुद्ध हमारे
भीम उड़ान के।

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