भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
मदकता का हो रहा अहसास है।।
प्राकृति का सौंदर्य निहारो तो ,
मन में छा रहा नव उल्लास है।।
– ओमप्रकाश भार्गव
पिपरिया
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
मदकता का हो रहा अहसास है।।
प्राकृति का सौंदर्य निहारो तो ,
मन में छा रहा नव उल्लास है।।
– ओमप्रकाश भार्गव
पिपरिया