भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
किलक उठीं रतनारी सुधियाॅं।
जीवन के रेतीले पथ पर
ढूॅंढें प्रिय को खारी अंखियाॅं।
रश्मि लहर
भीगी फिर थीं भारी रतियाॅं!
किलक उठीं रतनारी सुधियाॅं।
जीवन के रेतीले पथ पर
ढूॅंढें प्रिय को खारी अंखियाॅं।
रश्मि लहर