भिवानी के साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट की कहानी ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ को मिला तीसरा स्थान
अभी हाल ही में घोषित हुए हरियाणा साहित्य अकादमी पुचकूला द्वारा आयोजित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2016 के परिणाम में भिवानी के साहित्यकार आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट को तीसरा स्थान मिलने पर इनके परिचितों में खुशी की लहर है। इस प्रतियोगिता में आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट की कहानी ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ को तीसरा स्थान मिला है। इस संदर्भ में पत्र जारी करते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी की निदेशक श्रीमती कुमुद बंसल ने आनन्द प्रकाश आटिस्ट को बधाई दी है। आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट को निदेशक की ओर से प्रेषित पत्र में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित हिन्दी कहानी प्रतियोगिता 2016 में कहानी ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ को तीसरा स्थान प्राप्त हाने की सूचना के साथ-साथ इन्हें बधाई भी प्रेषित की गई है। अकादमी निदेशक की ओर से प्राप्त पत्र के माध्यम से यह सूचना मिलने के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से बधाई संदेश के साथ-साथ आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट को उनके परिचित फोन पर व व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी बधाई दे रहे हैं। आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट इस समय राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भिवानी में बतौर प्राध्यापक हिन्दी सेवारत होने के साथ-साथ बहुत सी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। उनके स्टाफ व साहित्यिक-सांस्कृतिक मित्रों में राजबीर जांगड़ा, हरिचन्द वशिष्ठ, राजीव शर्मा, करणसिंह, महेषचन्द्र, प्रकाश पांचाल, राजेश अरोड़ा, श्रीमती विनीता मलिक ‘नवीन’, श्रीमती सुनीता आनन्द, अनिल शर्मा ‘वत्स’, डाॅ. मनोज भारत, महेन्द्रसिंह सागर, महेन्द्र जैन(हिसार), राजकुमार पंवार(मदीना), धर्मबीर बडसरा(ढाणी माहू), विपेन्द्रपाल सिंह(प्रकाशक शब्द-शब्द संघर्ष सोनीपत), राजेश कुमार सांगवान(पूर्व सरपंच झोझू कलां) डाॅ. आनन्द शर्मा(साहित्यकार एवं कलाकार रोहतक) और रवि यादव(एंकर रेडियो बोल हरियाणा) के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। प्राप्त शुभकामनाओं से नई ऊर्जा का संचार होने की बात कहते हुए आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट ने बताया कि उन्होंने यह कहानी बहुत पहले किसी घटना से प्रेरित होकर लिखी थी और जब हरियाणा साहित्य अकादमी ने कहानी प्रतियोगिता वर्ष 2016 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की तो इनके कुछ साहित्यिक मित्र इनके लेखन कक्ष में इनसे मार्ग-दर्शन पाने पहुँचे, वहाँ बैठकर जब उन्होंने अपनी-अपनी रचना पर इनसे चर्चा करते हुए प्रतियोगिता के लिए कहानी भेजी और इन्हें भी अपनी कोई कहानी प्रतियोगिता में भेजने का सुझाव दिया, तो इन्होंने अपनी इस कहानी को प्रविष्टि के तौर पर भेजा था और लिफाफा बंद करते ही कह दिया था कि विश्वास किया जा सकता है कि यह कहानी अब कुछ न कुछ लेकर ही लौटेगी। इनके इस कथन के समय मौज़ूद रहे डाॅ. मनोज भारत, राजकुमार पंवार, अनिल शर्मा ‘वत्स’ और महेन्द्र सिंह सागर का कहना है कि भाई साहब(आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट) को किसी रचना अथवा किसी कृति की पाण्डुलिपि को पढ़ते ही न जाने कैसे पता चल जाता है कि उसे लेकर यह जो कुछ भी कहते हैं, वो होकर ही रहता है। राजकुमार पंवार की पहली और एकमात्र कृति ‘प्रेम के विविध आयाम और उदयभानु हंस’ की पाण्डुलिपि की तैयारी के समय ही इन्होंने कहा दिया था कि यदि इस पुस्तक को हरियाणा साहित्य अकादमी की पुस्तक पुरस्कार प्रतियोगिता में लगाया गया तो इसे श्रेष्ठ कृति सम्मान मिलेगा। उस वक़्त इनका यह कहना सबको बड़ा अज़ीब लगा था, किन्तु आगे चलकर इस कृति को हरियाण साहित्य अकादमी का श्रेष्ठ कृति सम्मान मिला। इसी तरह से हरियाणा साहित्य अकादमी के अनुदान से प्रकाशित हुई कई कृतियों की पाण्डुलिपियों पर चर्चा करते हुए भी इन्होंने उनके बारे में जो कहा था, वही आगे चलकर सामने आया। साहित्य के क्षेत्र में इन्हें अनुभवी और प्रेरक व्यक्तित्व का धनी माना जाता है। हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से इनकी दो कृतियां प्रकाशित होने के साथ-साथ इनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी एक पुस्तक ‘आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट के हरियाणवी गीतों में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति’(लेखक डाॅ. मनोज भारत) हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित हो चुकी है। इनके सभी परिचितों ने हरियाणा साहित्य अकादमी के इस परिणाम का स्वागत किया है