भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
बारी म चार डुहरू हे,पल्लो पलोवत नोनी थकगे।
करेला करू होथे फेर तभो ले चल एला खइगे।
रोज के तोर आलू रंधइ,मार दारबे इसना मा भइगे।
हरियरहरियर मिरचा अउ पताल के जोड़ी निक गे।
मन लगे हे एखर फूलगोभी म,भाटा घलो हिटगे।
अंगना सजाय सरग बरोबर,ममहावय फूल फइलगे।
प्रकृति शक्ति शाकम्भरी के सेवा करत जइगे।