!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
छुक छुक करती रेल से, फिर देखी बस राह।
एक चुनौती की डगर , फिर भी मन में चाह।।
यह भू भिंडी ऋषि की, भिंड कहे सब आज।
यहां खड़े कब से किले, लेकर कोई राज।।
चंबल घाटी की धरा, बीहड़ की भरमार।
पहुज सिंध चंबल नदी, बहती ले जल धार।।
फूलों से सरसो लदी, सोने जैसे खेत।
मन मोहक यह दृश्य है, देख नयन सुख लेत।।
देखो दुर्ग यहां खड़े, गोहद और अटेर।
बेहद खूबसूरत है, करिए इनकी सैर।।
—– जेपी लववंशी
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