“ भाषा की मृदुलता ”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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जीवन के पग -पग पर भाषा की मृदुलता को महत्व दिया गया है “ एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल ,जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल ! ” मधुर भाषा की नींव तो पारिवारिक और सामाजिक परिवेशों में सुदृढ़ हो पाती है ! माँ के दुलार ,पिता की नसीहत ,परिवार के सभी सदस्यों ,समाज ,मित्र ,गुरु और अपने कार्यालयों के योगदानों से मृदुलता का पाठ पढ़ाया जाता है ! किताबों के अध्ययन और चलचित्र का भी योगदान अतुलनीय माना जाता है ! अध्ययन अच्छी किताबों का संकलन और उसको मनन करने से मृदुलता का आभास होता है और हम जब कभी लिखते और बोलते हैं तो भाषा की मृदुलता छलकती है ! धार्मिक धारावाहिक टीवी शो हमारे परिवेशों को दिव्य बना देते हैं ! पुराने चलचित्रों में भाषा की मर्यादायों का ख्याल रखा जाता था !
समय बदलने लगे ! डिजिटल युग का आरंभ हुआ ! चलचित्र के संवाद ,भाषा और अभिव्यक्ति में फूहड़पन का प्रयोग प्रचलन बनता चला गया ! आज किन्हीं की लेख को पढ़कर एक क्षण सुखद अनुभूति प्राप्त होती है तो दूसरे क्षण उनकी भाषा मृदुलता से कोसों दूर दिखने लगती हैं ! यह दोहरा चरित्र और नाटकीय अंदाज़ “डिसॉर्डर पर्सनैलिटी” को दर्शाता है ! कुछ वर्षों से यह संक्रामक रोग विशेष रूप से राजनीति परिदृश्य में देखने को मिलता है ! हम जिनके समर्थक हैं -वे पूज्य हैं, पर दूसरी पार्टी और दूसरे नेता नगण्य ? नगण्य को अपशब्दों से अलंकृत करना दूसरे को शायद ही ग्राह्य हो ! फिर मृदुलता को छोड़ अपशब्दों के वाण चलाने लगते हैं !
यह युद्ध फिर महाभारत का रूप लेता है ! एक इंच जमीन नहीं देंगे ! मेरी बातें अकाट्य हैं ! यदि मैंने अभद्रता के वाण से प्रहार किया तो मैंने कोई अनुचित नहीं किया ! यह प्रहार धीरे -धीरे व्यक्तिगत होने लगता है जब कोई इसका प्रतिकार करने लगता है ! आज एक लेख “ लिविंग रीलैशन और पुरुष -नारी एक समान नहीं हो सकते ” को पढ़ा ! हृदय गदगद हो गया ! क्या सटीक तर्क थे उनके ? पर दूसरे ही क्षण कहीं और किसी के परिपेक्ष में अपशब्दों का प्रयोग कुछ हजम नहीं हो सका ! संसदीय भाषा अथवा मृदुल भाषा का भी तो प्रयोग कर सकते थे ?
यह युद्ध चलता रहेगा ! राजनीति और धर्मों की आलोचना होगी तो विरोध के स्वर गुंजित होंगे ! नए दोस्त बनेंगे और पुराने दोस्त अपनी हठधर्मिता के कारण बिछुड़ते चले जाएंगे ! समर्थन और विरोध तो अभिव्यक्ति के अधिकार हैं ! विरोध करें पर भाषा के मर्यादा ,संसदीय भाषा और मृदुलता का परित्याग कभी ना करें !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत