भावना में
गीतिका
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भावना में न बहना हमें है यहां।
आज हर कष्ट सहना हमें है यहां।
दिव्यता से भरा खूब सौंदर्य है,
अब न चुपचाप रहना हमें है यहां।
बात मन की छुपाना जरूरी नहीं,
पर सभी से न कहना हमें है यहां।
है युगों से हिमालय खड़ा जब अटल,
भरभरा कर न ढहना हमें है यहां।
देश अपना हमें प्रिय सभी से बहुत,
प्रिय नहीं स्वर्ण गहना हमें है यहां।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य