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10 Sep 2024 · 1 min read

भावनाओं से सींच कर

भावनाओं से सींच कर
मन आंगन में रोपे थे पौधे
हरियाये भी,फूले फले खिले
मैं उनसे हिली, वो मुझसे मिले
पर अब अचानक उन पौधों कि
शाखे टूट रही है
पत्तियां पीली होकर टूट रही है

मैने पूछा क्या गम है और क्या मेरा
प्यार कम है,
क्यों जल जल कर धूप हो गए और क्यों
सुंदर से विद्रूप हो गए

पौधा घुर्रा कर बोला

तकनीकी खामी है तेरे इस तौर में
प्यार से पौधे नही पलते इस दौर में

भावनाएं और विज्ञान की दाल साथ साथ नही गलेगी
और तुम्हारे प्रेम के अकॉर्डिंग दुनिया नही चलेगी।

~priya

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