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20 May 2024 · 1 min read

आत्मनिर्भर नारी

भावनाओं में जीती हूं ,
भावनाओं में मरती हूं ,
कितनी सीढ़ी पार हुई हूं ,
मंजिल देखा करती हूं।

हिंदुस्तान की बेटी हूं,
उर से अदम्य साहसी हूं,
समस्याओं का समाधान हूं,
संत्रासो का निदान हूं।

पिता की शान हूं ,
माता की ममता हूं,
कलाई की राखी भी मैं हूं,
दोनो कुल उजियारी मैं हूं।

दुर्गा भी मैं लक्ष्मी मैं हूं,
रानी लक्ष्मीबाई मैं हूं,
सत्यवान की सावित्री हूं,
धरा से आसमा की यात्री हूं।

वचन की पक्की हूं,
मैं निर्भीक गंभीर हूं,
निज भाग्य की लकीर हूं, निज देश की जागीर हूं।

Language: Hindi
117 Views
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