भाल हो
जंजीरा घनाक्षरी
देख देख गिने दंत, वीरता प्रचंड कंत.
वीर -धीर काल सम, ऐसा वीर बाल हो.
बाल होवे वीर व्रती,नाम हो अमर कृति.
आन बान शान रीति, ऐसा वीर लाल हो.
लाल होवे जैसे शिवा,महाकाल जैसे जीवा.
देसी की वो ढाल बन, शत्रुओं का काल हो.
काल होवे मुगलों का,वक्ष चीर फाड़ कर.
क्रांति वीर सैनिकों का, कांति मय भाल हो.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम