भारत वर्ष नया होगा…
सौभाग्य यही है मरने का,
और जीने का ये वक्त महान!
आज तो सोचो खुद से उठकर,
मानवता का है आह्वान !!
शत्रु जितना ताकतवर है,
उतने हम सशक्त नहीं !
रहो सजग जितना रह सकते,
प्रहारों का वक्त नहीं !!
कमतर न आँको दुश्मन को,
प्राणो का करता है पान..!
आज तो सोचो खुद से उठकर,
मानवता का है आह्वान !!
कोरोना से करो बचाब,
रहे हों बेशक सौ मतभेद !
कैसे धर्म कौन सी जाति,
आज भुलादो सब मनभेद !!
नफरत की सब खाई पाटदो,
छोड़के झूँठे सब अभिमान..!
आज तो सोचो खुद से उठकर,
मानवता का है आह्वान !!
हुये अगर जो रण में प्यारे,
तो भी हर्ष नया होगा !
बचे अगर इस महाप्रलय से,
भारत वर्ष नया होगा !!
इतिहासी पहचान बनेगी,
उदय हुआ जो कल का भान.!
आज तो सोचो खुद से उठकर,
मानवता का है आह्वान !!
? कवि लोकेन्द्र जहर