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21 Dec 2017 · 3 min read

भारत में मौलिक आर्थिक नीति

भारत में मौलिक आर्थिक नीति

भारत में अगर आर्थिक दशा का उल्लेख करने पे आउ तो शायद ये पूरा लेख काम पड़ जायेगा,आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है हर चीज़ पे आर्थिक मांगे बढ़ती जा रही हैं रसोई गैस के दाम में हर माह बढ़ोतरी हो रही है सरकार आम जनता को इस तरह इस्तेमाल करती है जैसे कोई आधी बस्तु खाकर छोड़ देता हो,इतनी जयादा लापरवाही है की कुछ कहा नहीं जा सकता,हर तरफ सड़के बदहाल हैं मगर कोई उपचार नहीं किया जाता ऊपर से लेकर नीचे तक सारे ही घूस खोर भरे हैं अगर कोई लोन लेने जाता है तो घूस कोई मकान खरीदता है तो घूस कोई शिक्षा लेने जाए तो घूस हर कोई बस घूस लेने पर उतारू बैठा है,यहाँ तक की अगर आप किसी अस्पताल में घायल पड़े हैं तो भी बिना डॉक्टर की फीस के आपका इलाज होना असंभव है,ऐसे में अगर कोई आपका काम जल्दी करवाने हेतु घूस मांगता है तो इसे आप क्या कहेंगे,मंदिर में दर्शन करवाने के लिए घूस हो काम आती है मई घूस पर इतनी चर्चा इसलिए कर रही हूँ की हमारे हिंदुस्तान में बिना रिश्वत अब कोई काम ही नहीं होता है,सिर्फ यही वजह है भारत के विकास न होने की कोई भी कही भी कूड़ा दाल देता कही भी थूक देता है जहाँ मन होता है वहीं गंदगी करता है कोई कुछ कहने वाला नहीं है हिंदुस्तान की व्यवस्थाएं इसलिए ख़राब हैं की यहाँ हर कोई बस अपनी जेबे भरने में लगा है,हर किसी को बस खुद से है मतलब रह गया है यहाँ सरकार बिना किसी के बारे सोचे बस अपना फैसला सुना देती है,पुलिस बस बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं सारा दिन जहा देखो वहां चेकिंग शुरू कर देते हैं कमी न होने पर कुछ ऐसी वजह गिना देते हैं की आम जनता सिर्फ घूस देकर बस छूटना पसंद करती है,एक ये जो गैस की सब्सिटी का नया कानून चलाया है सरकार ने मेरी समझ से तो परे हैं जनता से है पैसा लेकर उसी को वापस करना ये कौन सी नीति है सरकार की,एक तरफ तो सरकार का ये कहना है की अपना जान धन पाओ और एक तरफ सरकार कह रही है की सब्सिटी छोड़िये क्या तमाशा है कुछ समझ नहीं आता कुल मिलाकर देखा जाये तो सब कुछ बस सरकार का है,क्या व्यवस्थाएं सुधरेंगी हिंदुस्तान की जहाँ नेता सिर्फ अपने है बारे में सोचते हैं,बिना पैसे दिए कहीं कोई काम नहीं बनता मेरा ये मानना है की सरकार कोई भी फैसला ले तो जनता की वोटिंग होना चाहिए जैसे सरकार को चुनते वक़्त होती है, एक बार का किस्सा आप सभी से साझा करना चाहती हूँ एक बार मैं अपनी फैमिली के साथ घूमने जयपुर राजस्थान गई थी और वहां मेरी गाडी को ट्रैफिक पुलिस ने डी बार रोका जबकि मेरी कोई भी गलती नहीं थी बस पुलिस का उद्देश्य सिर्फ मुझसे चंद पैसे कमाने थे मैंने कई दलीले दी मगर बस उनका मकसद सिर्फ पैसे कामना था यही रह गया है बस आज कल इससे जयादा व्यक्त करने को मेरे पास अभी शब्द नहीं हैं परन्तु मैं अपने अगले लेख में आप सबके लिए कुछ खास लेकर आउंगी तब तक के लिए चमा चाहती हूँ….जाते जाते अपनी कुछ पंकियाँ आप सबके लिए लिखना चाहती हूँ,

जब मजहब चार बना रखे हैं,
तो सरकार भी चार बनानी चाहिए,
जब गाय बचाने पे इतना विवाद है,
तो बकरे की भी जान क्यों जानी चाहिए,
एक तरफ तो नारा है की हिंदुस्तान हमारा है,
फिर तो ये जातिवाद की सोच हटानी चाहिए,
हिन्दू नेता हिन्दू की और मुस्लिम नेता मुस्लिम की बात करता है,
सबसे पहले एक नेता की ऐसी सोच मिटानी चाहिए,

-लेखिका रश्मि शुक्ला
-पीलीभीत उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 345 Views
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