भारत बनाम इंडिया
अजीत कुमार भटनागर जी का लेख “भारत शब्द का प्रयोग सर्वथा उचित” पढ़ने को मिला। जिसमें वर्तमान समय में इंडिया बनाम भारत एक बहुत ही चर्चित और विवादित विषय उभर कर आया है। इस विषय पर लेख को पढ़ते समय मेरे मन में दो शब्द उभरे ‘इंडिया’ और ‘भारत, दोनों का शाब्दिक अर्थ आम जनता (लोगो) के लिए जानना बहुत जरूरी है।
इंडिया: इंडिया का शाब्दिक अर्थ होता है असभ्य, जंगली । अंग्रेज भारतीयों को इंडियन नाम से इसीलिए बुलाते थे क्योंकि उन्हें भारतीय लोग संभव और जंगली नजर आते थे। यदि आप ऑक्सफोर्ड के पुरानी डिक्शनरी के पन्ने पलटेंगे तो उसमें “इंडियन “शब्द का अर्थ है :ओल्ड फैशन एंड क्रिमिनल प्यूपिल, यानी पिछड़ी और रूढ़िवादी विचारों वाले लोग ।
क्योंकि अंग्रेजों को लेकर औपनिवेशिक काल से हमारा समाज उदासीन था, इसलिए हम इस शब्द का मूल अर्थ नहीं समझ सके ।
भारत: भारत एक सनातन नाम है । भारत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है भा और रत ।भा अर्थात ज्ञान रुपी प्रकाश और रथ अर्थात लगा हुआ: वह भूमि जिसके निवासी ज्ञान की खोज में लगे हुए हो या आंतरिक प्रकाश या विदेक रूपी प्रकाश में लीन ।
भारत और इंडिया दोनों के शाब्दिक अर्थ के हिसाब से भारत शब्द सर्वथा उचित मालूम होता है । भारत शब्द के लिए आंदोलन पिछले कुछ समय से शुरू हुआ है ।जैन गुरुओं ने प्रखरता से इस मुद्दे को रखा ,सद्गुरु भी प्रमुखता से भारत शब्द के उद्भव को समझाने का लगातार प्रयास करते रहे हैं । राष्ट्रीय संघ के संघ चालक मोहन भागवत ने लोगों से इंडिया की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करने की अपील की है।
विभिन्न स्रोतों से पता चलता है कि विष्णु पुराण में इस बात का जिक्र है कि समुद्र के उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत की सीमाएं निहित है ।विष्णु पुराण कहता है कि जब ऋषभदेव ने नग्न होकर गले में बांट बांधकर वन प्रस्थान किया तो अपने ज्येष्ठ पुत्र भारत को उत्तराधिकार दिया जिससे इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा । एक दावा यह भी है कि सम्राट भारत के नाम पर भी देश का नाम भारतवर्ष पड़ा । संस्कृत में वर्ष का अर्थ इलाका या हिस्सा भी होता है ।सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार दशरथ के पुत्र और प्रभु श्री राम के अनुज भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा । नाट्य शास्त्र में जिन भरत मुनि का जिक्र है उन्हीं के नाम पर देश का नाम भारत रखा गया । अर्थात हमारी राष्ट्रीयता खास तौर से भावी पीढ़ी में गर्व का बोध भरने वाला होगा।
भारत शब्द का अर्थ अति पौराणिक है और वेद पुराणों में सम्मिलित होने के कारण देश की पहली प्राथमिकता है।
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी)