भारत की कांति
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श्याम सांवरा
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6 Dec 2024 · 1 min read
भारत की कांति
नमन है वीर शहीदों को, उन भारत मां के पूतों को।
जिन्होंने प्राण गंवाए रण में, दुश्मन के काल सपूतों को।
भारत की कांति बनी रहेगी, रण में हमने दिखलाया।
भारत मां पूतों ने ही, 71 में था बांग्लादेश बनाया।
मत भूलो उस शौर्य गाथा को, जब हमने बाजी जीती थी।
पश्चिमी हिस्सा दान दिया, वो हिन्दुस्तान की नीयति थी।
सन 62 सी भूल न करना, वरना सन 67 सा धो देंगे।
नामों निशान मिटा देंगे, जो हम अपना संयम खो देंगे।
चीन की दहशत खत्म हुई, जनरल सगत सिंह दहाड़े।
50 शहीद भारत के हुए, पर 1-1 ने थे 6-6 मारे।
पाक देश विफल हुआ था, अपने नापाक इरादों में।
71 में बांग्लादेश बनाया, पाक को बांटा दो भागों में।
ये नवयुग का भारत है, उस दौर को न तुम जहन में रखना।
नापाक कदम जो भारत में रखा, अपना अस्तित्व खत्म समझ लेना।
पाक-चीन ने मिलकर शाजिश की थी, भारत को धूल चटाने की।
भारत वीरों ने कुचली थी मंशा, भारत की कांति मिटाने की।
वही कृत्य दोहराने को अब, फिर से दुश्मन आतुर है।
चेत गया तो माफी देंगे, वरना पाक को साफ समझ लेना।
चीन ने खंजर घोंपा फिर से, भाई-भाई का नारा देकर।
अबकी चुप न बैठेंगे, जो रखा कदम हिंद धरा पर।
कुछ तो बात है इस मिट्टी में, जो हर तिनका एक सेना है।
भारत केवल देश नहीं, इस धरा पर जड़ा नगीना है।
जय मां भारती।