भारत का सिपाही
हिम्मत हिमालय सा विशाल
कर देता रिपु का छिन्न हाल
हिमशिखरों पर जश्न मनाता जो
दलदल में राह बनाता जो
मरुभूमि में भर दे सब्ज़ रंग
जंगल में रात बिताता जो
सूरज से पहले दिखता हो
बादल में कभी न छिपता जो
वे वहीं खड़े हैं आठ प्रहर ।
सूरज का छिपना अटल सत्य
खग सांझ विसर्जन अटल सत्य
किंतु अरि सम्मुख प्रहरी वहीं अडिग
जो न विचलित होता अरि तोपों से
करता अरि का विध्वंस ढाल
वे हैं, भारत मां के अडिग लाल
वे जगते हैं, हम सोते हैं
अरि सम्मुख जब वे होते हैं
तब मनती ईद , दिवाली है
व्यापार तभी तो चलता है
उनका सदा सम्मान करो
वे भारत के सिपाही हैं
हां ! मैं भारत का सिपाही हूं।।
-आनन्द मिश्र