भारतवर्ष महान
कुण्डलिया
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ऋषि मुनियों की भूमि यह, भारतवर्ष महान।
पर्व और उत्सव यहां, खूब बढ़ाते शान।
खूब बढ़ाते शान, समय नवरात्रि आ गया।
नवदुर्गा का रूप, सभी मन खूब छा गया।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, धूम मां की छवियों की।
धन्य धन्य यह देश, धरा है ऋषि मुनियों की।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य