Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2024 · 1 min read

भामाशाह

दोहा
तन मन धन अर्पण किया, मातृभूमि के नाम
भामाशाह तुम्हें करे, भारतवर्ष प्रणाम

कुंडलिया
दानी भामाशाह का,अमर रहेगा नाम
बचा लिया मेवाड़ को, किया निराला काम
किया निराला काम, दान दी दौलत सारी
देश भक्ति के साथ,निभायी जिम्मेदारी
कहे ‘अर्चना’ बात, शाह थे जितने ज्ञानी
उतने वीर महान, कर्म से थे वह दानी

मुक्तक
राणा के तुम सलाहकार थे , पूरे मन से काम किया
देश के लिए जीना मरना, तुमने था संकल्प लिया
भामाशाह ये नाम तुम्हारा, भूल न कोई पाएगा
मातृभूमि की खातिर तुमने , तन मन धन सब वार दिया

डॉ अर्चना गुप्त
28.06.2024

99 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
बिगड़े हुए मुकद्दर पर मुकदमा चलवा दो...
Niharika Verma
"अदा "
Dr. Kishan tandon kranti
उदास हूं मैं आज...?
उदास हूं मैं आज...?
Sonit Parjapati
सबके सुख में अपना भी सुकून है
सबके सुख में अपना भी सुकून है
Amaro
There is no rain
There is no rain
Otteri Selvakumar
#संवाद (#नेपाली_लघुकथा)
#संवाद (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
■आज का ज्ञान■
■आज का ज्ञान■
*प्रणय*
BJ88 là nhà cái đá gà giữ vị trí top 1 châu Á, ngoài ra BJ88
BJ88 là nhà cái đá gà giữ vị trí top 1 châu Á, ngoài ra BJ88
Bj88 - Nhà Cái Đá Gà Uy Tín Số 1 Châu Á 2024 | BJ88C.COM
साथ था
साथ था
SHAMA PARVEEN
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
मीर की  ग़ज़ल हूँ  मैं, गालिब की हूँ  बयार भी ,
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
Neelofar Khan
छोड़ कर घर बार सब जाएं कहीं।
छोड़ कर घर बार सब जाएं कहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं बूढ़ा नहीं
मैं बूढ़ा नहीं
Dr. Rajeev Jain
जिस यात्रा का चुनाव हमनें स्वयं किया हो,
जिस यात्रा का चुनाव हमनें स्वयं किया हो,
पूर्वार्थ
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
अर्चना मुकेश मेहता
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
🍂🍂🍂🍂*अपना गुरुकुल*🍂🍂🍂🍂
Dr. Vaishali Verma
***
***
sushil sarna
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
पहली दफ़ा कुछ अशुद्धियाॅं रह सकती है।
Ajit Kumar "Karn"
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
3392⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
मैं सोचता हूँ उनके लिए
मैं सोचता हूँ उनके लिए
gurudeenverma198
कलमबाज
कलमबाज
Mangilal 713
मैं परमेश्वर की अमर कृति हूँ मेरा संबंध आदि से अद्यतन है। मै
मैं परमेश्वर की अमर कृति हूँ मेरा संबंध आदि से अद्यतन है। मै
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"मीरा के प्रेम में विरह वेदना ऐसी थी"
Ekta chitrangini
*करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम (कुंडलिया)*
*करते श्रम दिन-रात तुम, तुमको श्रमिक प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
कम आंकते हैं तो क्या आंकने दो
VINOD CHAUHAN
नये वर्ष का आगम-निर्गम
नये वर्ष का आगम-निर्गम
Ramswaroop Dinkar
Loading...