भाग्य का लिखा
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भाग्य ने जो लिखा वो हमने नहीं दिखा,
हमने जो देखा वो भाग्य ने नहीं लिखा।
जो अपना था वो पल में हुआ पराया,
जो पराया था वो कब हो गया अपना।
समझ नहीं आया भाग्य का लिखा,
क्या क्या रंग दिखाया जीवन रेखा।
हाथों की मेंहदी जिंदगी को रंग गई,
आंखों को नहीं भाते दिल को भा गया।
सजना संवरना हँसना मुस्काना
नारी का परम धर्म बन गया।