भाई जैसा आसरा
दोहे
भाई जैसा आसरा, भाई जैसा प्यार।
देख जगत सारा भले, भाई है संसार।।
भाई तज जोभी करे,सकल कार व्यवहार।
आधा वो कमजोर हैं, जग में हो तकरार।।
परामर्शदाता सही, भाई जैसा कौन।
भाई से मत रूठिए, नहीं साधिए मौन।।
रूठे बचपन में बड़े, जाते पल में मान।
भाई-भाई हो वही, बनी अलग पहचान।।
भाई से ही मान है, भाई से है लाड।
भीड़ पड़े भाई अड़े, भाई ऐसी आड।।
भाई-भाई जब लड़ें, दुश्मन हो मजबूत।
भाई-भाई संग हों, सभी लगें अभिभूत।।
भाई मेरा पवन है, रहता है करनाल।
बातें सांझी सब करे, रखता मेरा ख्याल।।
‘सिल्ला’ सबसे कह रहा, भाई ऐसी डोर।
रिश्तों को बांधे रहे, आए कैसा दौर।।
-विनोद सिल्ला