Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2023 · 1 min read

“भव्यता”

“भव्यता”
कितनी ही भव्य हो,
“दिव्यता”
के आगे कुछ नहीं।

■प्रणय प्रभात■

1 Like · 316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आईना जिंदगी का
आईना जिंदगी का
Sunil Maheshwari
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
Buddha Prakash
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दो रंगों में दिखती दुनिया
दो रंगों में दिखती दुनिया
कवि दीपक बवेजा
वीर भगत सिंह
वीर भगत सिंह
आलोक पांडेय
●शुभ-रात्रि●
●शुभ-रात्रि●
*प्रणय*
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
क्षणभंगुर गुलाब से लगाव
AMRESH KUMAR VERMA
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
Ranjeet kumar patre
सहमी -सहमी सी है नज़र तो नहीं
सहमी -सहमी सी है नज़र तो नहीं
Shweta Soni
तेरा गांव और मेरा गांव
तेरा गांव और मेरा गांव
आर एस आघात
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
हिसाब-किताब / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
रातें ज्यादा काली हो तो समझें चटक उजाला होगा।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
Manisha Manjari
क्रोध...
क्रोध...
ओंकार मिश्र
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
Sonam Puneet Dubey
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
परिवर्तन का मार्ग ही सार्थक होगा, प्रतिशोध में तो ऊर्जा कठोर
Ravikesh Jha
"सौगात"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
Phool gufran
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
*मांसाहारी अर्थ है, बनना हिंसक क्रूर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बढ़ता चल
बढ़ता चल
अनिल कुमार निश्छल
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
पर्यावरण संरक्षण*
पर्यावरण संरक्षण*
Madhu Shah
जीवन की राहें पथरीली..
जीवन की राहें पथरीली..
Priya Maithil
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
निर्भय दिल को चैन आ जाने दो।
निर्भय दिल को चैन आ जाने दो।
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
Loading...