Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 May 2024 · 4 min read

भविष्य के सपने (लघुकथा)

एक दिन हिन्दी की एक शिक्षिका दशवीं कक्षा में हिन्दी पढ़ा रही थी। आने वाले कुछ महीनों बाद वार्षिक परीक्षा होने वाली थी। पाठ समाप्त करने के पश्चात् शिक्षिका ने बच्चों से पूछा कि आप सब बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? एक बच्चे ने कहा, बड़ा होकर मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ। दूसरे ने कहा मैं बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता हूँ, किसी ने कहा कि मैं फौज में जाना चाहता हूँ तो किसी ने कहा कि मैं वैज्ञानिक बनना चाहता हूँ। एक बच्चे ने जो उत्तर दिया उसे सुनकर शिक्षिका के दिल को बहुत ठेस लगा और मन ही मन वह बहुत चिंतित हो गई। उस बच्चे ने कहा मैम! मैं तो बचपन से ही सोचता था कि बड़ा होकर आई.ए.एस ऑफिसर के लिए तैयारी करूँगा और अपनी देश की सेवा करूँगा लेकिन कुछ कारणों से अब मेरा मन नहीं करता है। शिक्षिका पूछी क्यों? क्या हुआ? बताओ क्या मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकती हूँ? बच्चे ने कहा नहीं मैडम! तभी उस बच्चे का एक दोस्त विनोद ने कहा मैं जानता हूँ मैम लेकिन विवेक ने मुझे मना किया है कि तुम किसी को मत बताना इसलिए मैं नहीं बता सकता। शिक्षिका बोली कोई बात नहीं विवेक! तुम मुझे कल बता सकते हो। दूसरे दिन मैडम कक्षा में आई। वे अपने पाठ को समाप्त करने के पश्चात् बोली। बच्चों! आप सब शांत हो जाइए आज हम विवेक से ही सुनेंगे कि उसने किस कारण से आई.ए.एस ऑफिसर बनकर देश सेवा करने के इरादे को बदल दिया है। हाँ! विवेक तो आप बताओ ऐसी क्या बात हो गई जिसके कारण आपने अपने इरादे बदल दिए। विवेक बोला मैडम एक दिन मैं दूरदर्शन पर समाचार देख रहा था। मैंने देखा की उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती किसी गाँव के दौरे पर जा रही थी। हेलिकोप्टर से उतरने के बाद वो जिस रास्ते से जा रही थी वह रास्ता कच्चा था। उस रास्ते पर चलते-चलते मायावती जी के जूते पर मिट्टी लग गया। उसी समय तुरंत उनके साथ चल रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी जेब से रुमाल निकालकर उनके जूते पोछने लगा। यह देखकर मुझे बहुत बुरा लगा। मैडम मैं यहाँ पर ये नहीं कह सकता हूँ कि मायावती जी ने उस अधिकारी से क्या कहा और यह भी नहीं कह सकता हूँ कि मायावती के साथ चल रहे उस वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा क्यों किया लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी का इस तरह जूते पोंछना नागरिक सम्मान और मर्यादा का उलंघन है। उस अधिकारी की क्या विवशता थी ये मैं नहीं समझ सकता हूँ लेकिन यह उस स्तर के सभी अधिकारियों का अपमान था। विवेक ने कहा कि मेरे सोच से ऊँचे पद पर बैठे हुए लोगों को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी भी नागरिक का सिर झुक जाये। मुख्य मंत्री या प्रधानमंत्री का सम्मान करना सभी नागरिकों, कर्मचारियों और अधिकारियों का कर्तव्य है लेकिन सभी मनुष्य का आत्मसम्मान उससे भी कहीं ऊँचा है। मुझे यहाँ कबीर जी की एक दोहा याद आ रही है-
कबीरा जब हम पैदा हुए’ जग हँसे, हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये।।

आप ही बताइए, मैडम ऐसे वरिष्ठ अधिकारी के लिए कौन रोयेगा? इनके पद चिन्हों पर कौन चलेगा? इन लोगों से हमें क्या सीखने को मिलता है? मुझे तो दुःख होता है। दूसरी बात मैडम जी मुझे यह नहीं मालूम है कि मायावती जी कितनी पढ़ी हैं। मैं जब भी उनको कभी भाषण देते हुए देखता हूँ तो वे एक-एक शब्द लिखित भाषण देख कर बोलती हैं बिना देखे वो दो शब्द भी नहीं बोल सकती हैं। मिडिया के सामने भी वो अपना पेपर निकाल लेती हैं और पढ़ना शरू कर देती हैं। हमारे देश में बहुत से ऐसे मंत्री हैं जिन्हें देखकर लगता है कि हम भी बड़े होकर ऐसा बनेंगे या इनकी तरह कुछ काम करेंगे जैसे हमारे देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद थे, दूसरा एक और व्यक्ति का नाम लेना चाहूंगा वे थे अब्दुल कलाम आजाद और भी कुछ नेतागण हैं जिन्हें देखकर लगता है कि अगर हमें भी कभी मौका मिला तो हम भी अपने देश और देशवासियों के लिए कुछ ऐसा करेंगे जिससे हमारे देशवासी हमेशा खुशहाल रहें।

उस बच्चे ने इस घटना को जब मुझे बताया तब मेरा मन भी बहुत व्यथित हुआ था। उस घटना को मैंने भी दूरदर्शन के समाचार चैनलों पर देखी थी लेकिन तब मैंने भी यह नहीं सोंचा था कि इसका प्रभाव भावी पीढ़ी पर इस तरह से पड़ेगा कि उनके भविष्य के सपने ही टूट जायेंगे और उन्हें अपने भविष्य के निर्णय को बदलना पड़ेगा। सार्वजनिक जीवन में कई लोग समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के लिए एक रोल मॉडल होते हैं मेरा उनलोगों से यह निवेदन होगा कि वे लोग इस तरह का कोई कार्य न करें जिससे विवेक जैसे भोले-भाले बच्चों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। यहाँ हम एक विवेक की बात नहीं कर रहे हैं ऐसे कई विवेक हो सकते हैं जिन्होंने इस घटना को देख कर भविष्य के विषय में अपना निर्णय बदल दिया होगा।

Language: Hindi
80 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
मेरा विचार ही व्यक्तित्व है..
Jp yathesht
सोलह श्राद्ध
सोलह श्राद्ध
Kavita Chouhan
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
एकवेणी जपाकरणपुरा नग्ना खरास्थिता।
Harminder Kaur
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
फ्लाइंग किस और धूम्रपान
फ्लाइंग किस और धूम्रपान
Dr. Harvinder Singh Bakshi
मजबूरियां रात को देर तक जगाती है ,
मजबूरियां रात को देर तक जगाती है ,
Ranjeet kumar patre
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
ख्वाब जब टूटने ही हैं तो हम उन्हें बुनते क्यों हैं
PRADYUMNA AROTHIYA
❤️
❤️
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हर फूल खुशबुदार नहीं होता./
हर फूल खुशबुदार नहीं होता./
Vishal Prajapati
"सही मायने में तो साथ देते हैं ll
पूर्वार्थ
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रोज हमको सताना गलत बात है
रोज हमको सताना गलत बात है
कृष्णकांत गुर्जर
जय श्री महाकाल
जय श्री महाकाल
Neeraj kumar Soni
3372⚘ *पूर्णिका* ⚘
3372⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
*तंजीम*
*तंजीम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
मेरे प्यारे लोग...
मेरे प्यारे लोग...
Otteri Selvakumar
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
शीर्षक - पानी
शीर्षक - पानी
Neeraj Agarwal
😢लिव इन रिलेशनशिप😢
😢लिव इन रिलेशनशिप😢
*प्रणय*
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
Priya princess panwar
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
*जिन्होंने बैंक से कर्जे को, लेकर फिर न लौटाया ( हिंदी गजल/
Ravi Prakash
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
माँ सरस्वती प्रार्थना
माँ सरस्वती प्रार्थना
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
" मैं तो लिखता जाऊँगा "
DrLakshman Jha Parimal
" जब "
Dr. Kishan tandon kranti
काव्य में अलौकिकत्व
काव्य में अलौकिकत्व
कवि रमेशराज
मन
मन
SATPAL CHAUHAN
प्यार
प्यार
Kanchan Khanna
Loading...