भला कौन नहीं है
चाहत का तलबगार भला कौन नहीं है।
दिल इश्क में लाचार भला कौन नहीं है।।
दुनिया को भनक तक न लगी मिल गए दो दिल।
उल्फत में खबरदार भला कौन नहीं है।।
बिन बेड़ी सलाखों के भी तो कैद है मुमकिन।
जुल्फों में गिरफ्तार भला कौन नहीं है।।
सच झूठ छिपाये नहीं छिपता है कभी भी ।
दुनिया में समझदार भला कौन नहीं है।।
हर एक पे उंगली न उठा झांक गिरेबां।
फिर सोच गुनहगार भला कौन नहीं है।।
इस मंच से श्रंगार भी अंगार भी सुनिए।
महफिल में कलमकार भला कौन नहीं है।।
जिन लोगों ने भी ज्योति को बदनाम किया था।
वो देखें तरफदार भला कौन नहीं है।।
✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव