भलाई
चार दिनों के जीवन में
बस स्नेह और प्रेम हमेशा बना रहे
कुछ और रहे ना रहे लेकिन
मेल जोल आपसी बस बना रहे
जाने कितने वर्षों तक हमने बस
कटुता और वैमनस्यता झेली है
छोड़कर कटुता का दामन
सौहार्द वातावरण बना रहे
क्या मिलता है हमको बोलो
ईर्ष्या आपस में करने से
क्या मिलता है हमको बोलो
नीचा किसी को दिखाने से
राम,कृष्ण, बुद्ध और नानक की
धरती पर तुमने जन्म लिया है
छोड़कर राग द्वेष की बातें
भलाई है आदर्शों को अपनाने से
इति।
संजय श्रीवास्तव
बीएसएनल बालाघाट, मध्यप्रदेश