Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2024 · 1 min read

भर नहीं पाये जो,

भर नहीं पाये जो,
नासूर है वो धाव नहीं
गर्दिशे-वक़्त में होता
कभी ठहराव नहीं
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

1 Like · 22 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

ईश्वर से ...
ईश्वर से ...
Sangeeta Beniwal
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
हर दिल में एक टीस उठा करती है।
TAMANNA BILASPURI
ना कोई सुनने वाला है ना कोई पढ़ने वाला है किसे है वक्त कुछ कह
ना कोई सुनने वाला है ना कोई पढ़ने वाला है किसे है वक्त कुछ कह
DrLakshman Jha Parimal
- लोग दिखावे में मर रहे -
- लोग दिखावे में मर रहे -
bharat gehlot
मायापति की माया!
मायापति की माया!
Sanjay ' शून्य'
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
कवि रमेशराज
IWIN Club còn là thiên đường cá cược game bài. Tại đây, ngườ
IWIN Club còn là thiên đường cá cược game bài. Tại đây, ngườ
IWIN Club
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
बिहनन्हा के हल्का सा घाम कुछ याद दीलाथे ,
Krishna Kumar ANANT
उदास हूं मैं आज...?
उदास हूं मैं आज...?
Sonit Parjapati
हमको भी कभी प्रेम से बुलाइए गा जी
हमको भी कभी प्रेम से बुलाइए गा जी
कृष्णकांत गुर्जर
वैर भाव  नहीं  रखिये कभी
वैर भाव नहीं रखिये कभी
Paras Nath Jha
इख़्तिलाफ़
इख़्तिलाफ़
अंसार एटवी
परछाइयां भी छोटी हो जाया करती है,
परछाइयां भी छोटी हो जाया करती है,
श्याम सांवरा
विचारों में मतभेद
विचारों में मतभेद
Dr fauzia Naseem shad
गुलामी के कारण
गुलामी के कारण
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अब मत पूछो
अब मत पूछो
Bindesh kumar jha
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
Raju Gajbhiye
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
ज़िंदगी यूँ तो बड़े आज़ार में है,
Kalamkash
मित्रता का मेरा हिसाब–किताब / मुसाफिर बैठा
मित्रता का मेरा हिसाब–किताब / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बात फूलों की
बात फूलों की
Namita Gupta
🙅 *मेरे हिसाब से* 🙅
🙅 *मेरे हिसाब से* 🙅
*प्रणय*
रंग प्यार का
रंग प्यार का
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
2489.पूर्णिका
2489.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
#आस
#आस
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सौदेबाजी रह गई,
सौदेबाजी रह गई,
sushil sarna
इंतज़ार के दिन लम्बे हैं मगर
इंतज़ार के दिन लम्बे हैं मगर
Chitra Bisht
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
*मिटा-मिटा लो मिट गया, सदियों का अभिशाप (छह दोहे)*
Ravi Prakash
ऋतु परिवर्तन
ऋतु परिवर्तन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा
कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
Loading...