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19 May 2023 · 1 min read

भर आई यौवन में गहराई

कोमल कलियाँ लगी मुस्कुराने
लो चंचल सावन की ऋतु आई
भर आई यौवन में गहराई।

अलक प्रिये न यों फहराओ
पलक प्रिये न यों बहकाओ
खिल उठा है बासंती चमन
देखो आम पर ऋतु की बौराई
भर आई यौवन में गहराई।

भौंरों का तुम गान सुनोगी
कलियों की मुसकान लूटोगी
रंग भर लाई अदा तुम्हारी
नैन नशीली चंचल हो आई
भर आई यौवन में गहराई।

वक्ष धरा का प्रफुल्लित है
हर तरफ फागुनी गुनगुन है
चपल अधरों में तुम्हारे प्रिय
नव लालिमा है खिल आई
भर आई यौवन में गहराई।

बाँहों में प्रियतम के अपने
झूमने को तत्पर है कली-कली
ऋतु के रंगीन सपनों में देखो
बज रही है प्रेम की शहनाई
भर आई यौवन में गहराई।

-✍श्रीधर.

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