भरोसा
~भरोसा ~
मुझे भरोसा था । ओर मैने ज़िन्दगी भर के साथ के लिए हा कर दी ।
4 महीने ओर 5 दिन की मुलाकात ओर बातो ने खुद को इतना यकीन तो दिला ही दिया था । की ये साथ कभी ना टूटेगा ।
वक्त के साथ रिश्ते बदल जाते है अपना पन कम हो जाता है ये कहा पता था कि भरोसा सिर्फ एक नाम है कोई एग्रीमेंट का कागज थोड़ी ना है । अब डरती हूं
भरोसा , trust , यकीन , विश्वाश , इन नामों से ,
कोन कब कहा किस मोड़ जाए तुमको तन्हा कर जाए किसको मालूम , ज़िन्दगी भर के साथ के सपने , किसी अजनबी से चंद दिनों की मुलाकातों में के से लिए जा सकते है ।
इतना कम वक्त क्या रिश्तों को बनाने के लिए काफी होता है ।
या सिर्फ भरोसा ही काफी है ।
या एग्रीमेंट भी जरूरी है ।