भरी आँखे हमारी दर्द सारे कह रही हैं।
भरी आँखे हमारी दर्द सारे कह रही हैं।
लबों की चुप्पियाँ भी राज़ ज़ाहिर कर रही हैं।
बड़े पत्थर हैं वो जज़्बात ना समझे हमारा।
जिसे पाने की ख़्वाहिश में ये साँसे चल रही हैं।
-शिल्पी सिंह बघेल
भरी आँखे हमारी दर्द सारे कह रही हैं।
लबों की चुप्पियाँ भी राज़ ज़ाहिर कर रही हैं।
बड़े पत्थर हैं वो जज़्बात ना समझे हमारा।
जिसे पाने की ख़्वाहिश में ये साँसे चल रही हैं।
-शिल्पी सिंह बघेल