भरा कहां कब ओस से किसका कभी गिलास
कितना भी कर लीजिए,दिल से आप प्रयास ।
भरा कहां कब ओस से किसका कभी गिलास।
कर लें मन को रोकने, जितनी कोशिश आप,
इच्छाओं की सूखती ,कहां किसी की घास ।।
रमेश शर्मा.
कितना भी कर लीजिए,दिल से आप प्रयास ।
भरा कहां कब ओस से किसका कभी गिलास।
कर लें मन को रोकने, जितनी कोशिश आप,
इच्छाओं की सूखती ,कहां किसी की घास ।।
रमेश शर्मा.