Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2022 · 3 min read

भरत कुल 8

भाग-8
छोटी बहू प्रज्ञा ने सासू मां से शिकायत की, किशोर कुछ दिनों से घर नहीं आया। प्रज्ञा बहुत परेशान थी। उसका उसके पति पर पूर्ण अधिकार था ।उसे सब बर्दाश्त था, किंतु धोखा उसे कतई मंजूर नहीं था। उसने शिद्दत से वफादारी की थी, और उसके बदले में वफ़ा की उम्मीद करती थी ।
इधर प्रज्ञा को किसी परिचित ने बताया, उसका पति एक महिला मित्र के घर दो-तीन दिन से रह रहा है ।प्रज्ञा के स्वाभिमान पर अचानक गहरी चोट पहुंची ।उसका खून खौल उठा । वह घर में बड़ी भाभी को साथ लेकर कौशल की महिला मित्र के घर पहुंची। अचानक, किशोर की पत्नी को सामने पा महिला चौंकी ।फिर उन्हें आदर सहित घर में बैठाया। प्रज्ञा का काटो तो खून नहीं वाला हिसाब था ।

उसने क्रोध में पूछा- किशोर कहां है? महिला मित्र प्रज्ञा के इस व्यवहार से असहज हुयी ।अचानक उठे इस प्रश्न ने महिला को सिरे से हिला दिया।
महिला मित्र ने कहा- भाभी क्या बात है? आप बहुत नाराज लग रहीं हैं। आप बहुत परेशान हैं। बताइए पूरी बात साफ-साफ कहिए।

प्रज्ञा ने इसे नाटक समझ कर कठोर स्वर में कहा- किशोर कहां है ?वह दो-तीन दिन से घर नहीं आया है ।उसे कहां छुपा रखा है ?
महिला मित्र ने विनम्रता से कहा – भाभी कौशल बहुत दिन से मेरे घर नहीं आया है ।मैं पता लगाती हूं कि वह कहां है। भाभी आप बिल्कुल परेशान ना हो, हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है।

अब बड़ी भाभी ने प्रज्ञा को समझाया, बहन इसकी बातों में सच्चाई है। इससे किशोर का पता लगाने में मदद मिलेगी । इसके और भी तो मित्र होंगे।

प्रज्ञा ने कहा- ठीक है। अच्छा तुम मेरे सामने किशोर को फोन लगाओ। और उसी से पूछो कि वह कहां है?

महिला मित्र ने किशोर को फोन लगाया। वह स्विच ऑफ था।फिर उसने उसके करीबी मित्र को फोन लगाया ।उससे फोन पर पूछा- किशोर कहां है? भाभी परेशान है। वह मेरे घर पर हैं।
मित्र ने उसे बताया – किशोर का दुर्घटना में पैर टूट गया है।वह नर्सिंग होम में भर्ती है। उसका उपचार चल रहा है ।अब वह बिल्कुल ठीक है।

महिला मित्र डांटते हुए कहा -तुम लोग को शर्म आनी चाहिए। सारा घर परेशान है ।आज अगर कुछ हो जाता तो, फिर उसने भाभी से कहा- भाभी आपका किशोर बिल्कुल ठीक है।वह नर्सिंग होम में अपनी टांगों का उपचार करा रहा है।
तब प्रज्ञा ने राहत की सांस ली। उसका अपने सुहाग पर विश्वास कायम हुआ। और प्रज्ञा और भाभी ने शोभा नर्सिंग होम की ओर रुख किया। नर्सिंग होम में कौशल को पाकर प्रज्ञा के आंसू बह निकले ।पता नहीं क्या क्या सोचा था ,कि, कौशल से खूब झगड़ा करूंगी ।घर में घुसने ना दूंगी। सास ससुर से शिकायत करूंगी ।और मायके चली जाऊंगी। आखिर विश्वासघात की यही सजा है। आज कौशल सही सलामत उसके सामने है ।वह दो दिनों से नर्सिंग होम में भर्ती है ।प्रज्ञा ने अश्रु बहाते हुये रुँधे गले से कहा- आपको हमारा कुछ ख्याल नहीं है। हम कितने परेशान थे। अनहोनी की आशंका से हमारा दिल घबरा रहा था ।आप कितने निष्ठुर हो।एक बार फोन करके बता देते कि हम नर्सिंग होम में भर्ती हैं, तो आपका क्या बिगड़ता ।

किशोर ने कहा- मैं घरवालों को परेशान नहीं करना चाहता । बाबूजी परेशान हो जाते। वे वृद्ध हैं उनका ख्याल आते ही मैंने फोन करने से मना कर दिया ।

प्रज्ञा ने कहा- आपको अपने बाबू जी का ख्याल आया। मेरा कुछ ख्याल नहीं आया।मैं कितनी परेशान थी। दो दिनों से भूखी प्यासी तुम्हारी बाट-जोह रहीं हूँ। रात में ना नींद आती है ना दिन में चैन। आप जैसे भी थे,किन्तु रात में घर आ जाते थे। तुमने तो हमें अपना समझा ही नहीं।

किशोर ने कहा -पगली! मुझसे भूल हो गयी। मुझे सूचित करना चाहिए था। किंतु, मुझे क्षमा कर दो ।मैं ठीक होते ही तुम्हारे पास आता ।इतना सुनते ही प्रज्ञा के आंसू बह निकले। चलो ,ईश्वर ने सब अच्छा कर दिया। अन्यथा कौशल को क्या मुंह दिखाती।
प्रज्ञा और शोभा भाभी ने कौशल को नर्सिंग होम से डिस्चार्ज करा कर घर की ओर प्रस्थान किया ।आज प्रज्ञा की कसौटी पर कौशल खरा उतरा था ।

Language: Hindi
477 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
रिश्ते
रिश्ते
Ashwani Kumar Jaiswal
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
मंज़िल को तुम्हें यदि पाना हो ,तो चलते चलो तुम रुकना नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
आसुओं की भी कुछ अहमियत होती तो मैं इन्हें टपकने क्यों देता ।
Lokesh Sharma
कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
Dr fauzia Naseem shad
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
*जीता है प्यारा कमल, पुनः तीसरी बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अपने दिल का हाल न कहना कैसा लगता है
अपने दिल का हाल न कहना कैसा लगता है
पूर्वार्थ
साया ही सच्चा
साया ही सच्चा
Atul "Krishn"
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
इस जनम में तुम्हें भूल पाना मुमकिन नहीं होगा
शिव प्रताप लोधी
जज्बा जगाता गढ़िया
जज्बा जगाता गढ़िया
Dr. Kishan tandon kranti
खबर नही है पल भर की
खबर नही है पल भर की
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
" हवाएं तेज़ चलीं , और घर गिरा के थमी ,
Neelofar Khan
आशिक़ का किरदार...!!
आशिक़ का किरदार...!!
Ravi Betulwala
हिंदी दिवस को प्रणाम
हिंदी दिवस को प्रणाम
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
साहित्यकार गजेन्द्र ठाकुर: व्यक्तित्व आ कृतित्व।
Acharya Rama Nand Mandal
आंखों से
आंखों से
*प्रणय*
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
4722.*पूर्णिका*
4722.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
4. गुलिस्तान
4. गुलिस्तान
Rajeev Dutta
क़ुर्बानी
क़ुर्बानी
Shyam Sundar Subramanian
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
पुस्तक समीक्षा -रंगों की खुशबू डॉ.बनवारी लाल अग्रवाल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
उस रावण को मारो ना
उस रावण को मारो ना
VINOD CHAUHAN
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
फूल   सारे   दहकते  हैं।
फूल सारे दहकते हैं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
एक मधुर संवाद से,
एक मधुर संवाद से,
sushil sarna
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
Loading...