भरत कुल 8
भाग-8
छोटी बहू प्रज्ञा ने सासू मां से शिकायत की, किशोर कुछ दिनों से घर नहीं आया। प्रज्ञा बहुत परेशान थी। उसका उसके पति पर पूर्ण अधिकार था ।उसे सब बर्दाश्त था, किंतु धोखा उसे कतई मंजूर नहीं था। उसने शिद्दत से वफादारी की थी, और उसके बदले में वफ़ा की उम्मीद करती थी ।
इधर प्रज्ञा को किसी परिचित ने बताया, उसका पति एक महिला मित्र के घर दो-तीन दिन से रह रहा है ।प्रज्ञा के स्वाभिमान पर अचानक गहरी चोट पहुंची ।उसका खून खौल उठा । वह घर में बड़ी भाभी को साथ लेकर कौशल की महिला मित्र के घर पहुंची। अचानक, किशोर की पत्नी को सामने पा महिला चौंकी ।फिर उन्हें आदर सहित घर में बैठाया। प्रज्ञा का काटो तो खून नहीं वाला हिसाब था ।
उसने क्रोध में पूछा- किशोर कहां है? महिला मित्र प्रज्ञा के इस व्यवहार से असहज हुयी ।अचानक उठे इस प्रश्न ने महिला को सिरे से हिला दिया।
महिला मित्र ने कहा- भाभी क्या बात है? आप बहुत नाराज लग रहीं हैं। आप बहुत परेशान हैं। बताइए पूरी बात साफ-साफ कहिए।
प्रज्ञा ने इसे नाटक समझ कर कठोर स्वर में कहा- किशोर कहां है ?वह दो-तीन दिन से घर नहीं आया है ।उसे कहां छुपा रखा है ?
महिला मित्र ने विनम्रता से कहा – भाभी कौशल बहुत दिन से मेरे घर नहीं आया है ।मैं पता लगाती हूं कि वह कहां है। भाभी आप बिल्कुल परेशान ना हो, हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है।
अब बड़ी भाभी ने प्रज्ञा को समझाया, बहन इसकी बातों में सच्चाई है। इससे किशोर का पता लगाने में मदद मिलेगी । इसके और भी तो मित्र होंगे।
प्रज्ञा ने कहा- ठीक है। अच्छा तुम मेरे सामने किशोर को फोन लगाओ। और उसी से पूछो कि वह कहां है?
महिला मित्र ने किशोर को फोन लगाया। वह स्विच ऑफ था।फिर उसने उसके करीबी मित्र को फोन लगाया ।उससे फोन पर पूछा- किशोर कहां है? भाभी परेशान है। वह मेरे घर पर हैं।
मित्र ने उसे बताया – किशोर का दुर्घटना में पैर टूट गया है।वह नर्सिंग होम में भर्ती है। उसका उपचार चल रहा है ।अब वह बिल्कुल ठीक है।
महिला मित्र डांटते हुए कहा -तुम लोग को शर्म आनी चाहिए। सारा घर परेशान है ।आज अगर कुछ हो जाता तो, फिर उसने भाभी से कहा- भाभी आपका किशोर बिल्कुल ठीक है।वह नर्सिंग होम में अपनी टांगों का उपचार करा रहा है।
तब प्रज्ञा ने राहत की सांस ली। उसका अपने सुहाग पर विश्वास कायम हुआ। और प्रज्ञा और भाभी ने शोभा नर्सिंग होम की ओर रुख किया। नर्सिंग होम में कौशल को पाकर प्रज्ञा के आंसू बह निकले ।पता नहीं क्या क्या सोचा था ,कि, कौशल से खूब झगड़ा करूंगी ।घर में घुसने ना दूंगी। सास ससुर से शिकायत करूंगी ।और मायके चली जाऊंगी। आखिर विश्वासघात की यही सजा है। आज कौशल सही सलामत उसके सामने है ।वह दो दिनों से नर्सिंग होम में भर्ती है ।प्रज्ञा ने अश्रु बहाते हुये रुँधे गले से कहा- आपको हमारा कुछ ख्याल नहीं है। हम कितने परेशान थे। अनहोनी की आशंका से हमारा दिल घबरा रहा था ।आप कितने निष्ठुर हो।एक बार फोन करके बता देते कि हम नर्सिंग होम में भर्ती हैं, तो आपका क्या बिगड़ता ।
किशोर ने कहा- मैं घरवालों को परेशान नहीं करना चाहता । बाबूजी परेशान हो जाते। वे वृद्ध हैं उनका ख्याल आते ही मैंने फोन करने से मना कर दिया ।
प्रज्ञा ने कहा- आपको अपने बाबू जी का ख्याल आया। मेरा कुछ ख्याल नहीं आया।मैं कितनी परेशान थी। दो दिनों से भूखी प्यासी तुम्हारी बाट-जोह रहीं हूँ। रात में ना नींद आती है ना दिन में चैन। आप जैसे भी थे,किन्तु रात में घर आ जाते थे। तुमने तो हमें अपना समझा ही नहीं।
किशोर ने कहा -पगली! मुझसे भूल हो गयी। मुझे सूचित करना चाहिए था। किंतु, मुझे क्षमा कर दो ।मैं ठीक होते ही तुम्हारे पास आता ।इतना सुनते ही प्रज्ञा के आंसू बह निकले। चलो ,ईश्वर ने सब अच्छा कर दिया। अन्यथा कौशल को क्या मुंह दिखाती।
प्रज्ञा और शोभा भाभी ने कौशल को नर्सिंग होम से डिस्चार्ज करा कर घर की ओर प्रस्थान किया ।आज प्रज्ञा की कसौटी पर कौशल खरा उतरा था ।