भय
भय एक काल्पनिक रचना है ,जो वास्तविकता एवं आंतरिक तथ्यों से परे है।
डर का उद्भव काल्पनिक पूर्वानुमानों के धरातल पर पूर्व निर्मित धारणाओं द्वारा होता है, जिसमे तर्कशील वास्तविकता एवं अंतर्निहित विश्लेषणात्मक तथ्यों की कोई भूमिका नहीं होती है।
समूह मानसिकता जिसमें व्यक्तिगत विश्लेषण की कमी होती है और जो समूह द्वारा पूर्वकल्पित अंधविश्वासों एवं धारणाओं पर आधारित होती है,
जनसाधारण में आतंक एवं भय का वातावरण निर्माण करने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
समूह द्वारा भय का वातावरण निर्माण करने में कुछ व्यक्तिपरक एवं समूहपरक स्वार्थी एवं कुत्सित मंतव्य छिपे में होते हैं। जिनका उद्देश्य जनसाधारण में भय का वातावरण पैदा कर अपने कुत्सित मंतव्यों की प्राप्ति के लिए उनकी भावनाओं का उपयोग करना मात्र है।
अपराधियों का प्रथम अस्त्र लोगों में भय का वातावरण पैदा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना है , जबकि अपराधियों का मनोबल सशक्त नहीं होता है। वे उनका डटकर सामना करने वाले साहसी और निर्भीक व्यक्तियों से भयभीत रहते हैं।
फिल्म एवं टीवी में अपराधियों एवं आतंकवादियों को निर्भीक महिमामंडित कर एवं आम जनता को भयभीत कायर दर्शाया जाता है। जो कि एक गलत धारणा का प्रचार एवं प्रसार है।
यह आम जनता में सनसनी पैदा कर अपनी टीआरपी लोकप्रियता प्राप्त करने का घटिया तरीका है।
राजनीति में भी जनता में असंतोष एवं भय पैदा कर अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश की जाती है ,जो कि सर्वथा गलत परंपरा है।
अंततः हम कह सकते हैं कि भय एक व्यक्तिगत समूह प्रेरित धारणा है , जिसका कोई वास्तविक ठोस आधार एवं प्रमाण नही होता है , एवं इसकी मान्यता एवं स्वीकार्य तीव्रता प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न भिन्न होती है।