भजन – माॅं नर्मदा का
पावन तटों पे माॅं तेरे संतों का वास है
कलयुग में मैय्या तुझसे भक्तों को आस है
मैय्या है विंध्यवासी खाड़ी में जा समाती
देवों के रूप सारे जल में ही माॅं दिखाती
दर्शन की प्यासी दुनिया माॅं तुझसे ही आस है।
पावन तटों पे……..
गोदी में माॅं खिलाती, भूखा नहीं सुलाती
बच्चों को दर्श देने, घट घट पे मैय्या आती
तैंतीस कोटि देवों का जल में निवास है
पावन तटों पे……..
कंकर माॅं तू ने अपने शंकर बना दिए हैं
बीहड़ वनों को माॅं ने सुंदर बना दिए हैं
मैया के नीर में सदा अद्भुत मिठास है
पावन तटों पे……..
✍ अरविंद राजपूत ‘कल्प’