भजन , ( अरदास कोरोना के समय)
मेहर करो माता जी, इन मज़दूर विचारों पै।
धन माया की बौछार करो, कोरोना के मारों पै।
ठेकेदार , मालिक ले आये पैसा दे देगें। इनको क्या मालूम वक्त पर धोका दे देगे।
नहीं रोटी है नहीं जेब खर्च, मज़बूर विचारों पै। (१)
धन माया की बौछार करो, कोरोना के मारों पै।
नही साधन आने जाने का, घरको सब पैदल निकल पड़े।
जूते चप्पल सब टूट गये , पाओं में छाले विकट पडे़।
सिर कन्धों पर सामान लदा, है घर दूर विचारों पै। (२)
धन माया की बौछार करो कोरोना के तारों पै।
गोदी में बच्चा पेट में एक, फिर भी वो चलती जाती हैं।
कोई बच्चा जनती राहों में, उफ तक भी ना कह पाती हैं।
टूटी नाव पतैया छोटी , नैया दूर किनारों सै। (3)
धन माया की बौछार करो, कोरोना के तारों पै।
धन पति बनने की होड़ मची, मिलियन, बिलियन की बात करें
“सिहं” काम कराने मे आगे, पैसा देने में घात करें।
मेहनत कस भूखा मर जाये, लानत ऐसी सरकारों पै।
धन माया की बौछार करो, कोरोना के मारों पै।