भगवान
देख संसार की हालत, बदल गये भगवान।
साधु, मुला, पादरी का, नही रहा ईमान।।
धर्म – अधर्म के कर्मो को, देख रहा भगवान।
मन्दिर मज्जिद के नाम से, लड़ता रहे इंसान।।
कन्या पूजन करते रहे, नही मिले भगवान।
कोख में बेटी मार रहे, अधर्मी बने महान।।
मन्दिर मज्जिद फिरते रहे, यहाँ नही भगवान।
जरूरत मन्दो कि सेवामे, मिल जाते भगवान।।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ (राज.) 9829246588