*भगवान भली करेगा (लघुकथा)*
भगवान भली करेगा (लघुकथा)
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बरातियों की संख्या देखकर उमाकांत बाबू के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं। समधी जी से बातचीत तो केवल डेढ़ सौ बरातियों की हुई थी और यहाँ चार सौ से कम नहीं आए होंगे । तत्काल दिमाग उनका दौड़ने लगा । व्यवस्था के लिए हलवाई की तरफ भागे । रामप्रसाद उनका पुराना हलवाई था। तीन बेटियों की शादियों में वही काम कर चुका था । देखते ही बोला “सरकार ! आप फिक्र न करें । छोटे सरकार ने आधे घंटे पहले ही बारातियों की संख्या के बारे में बता दिया था। अब दुगना आटा गुँथ रहा है । बाकी बोरियां तैयार रखी हैं। ”
उमाकांत जी ने कृतज्ञता के भाव से रामप्रसाद को गले से लगा लिया । रामप्रसाद ने मुस्कुराते हुए कहा “बाकी तो सब ठीक है। हम पार उतर जाएंगे । लेकिन आपके अपने घर के आस्तीन के सांप बिटिया की शादी निर्विघ्न नहीं होते देखना चाहते ! ”
“क्या कह रहे हो ? ऐसा क्या हो गया” उमाकांत बाबू चिल्लाए ।
” सरकार ! एक आदमी हाथों में पिसी हुई मिर्च की थैलिया लेकर चोरों की भांति सारी सब्जियों को जहरीला बनाने के लिए षड्यंत्र रच रहा था। हमने रँगे हाथों पकड़ लिया ।”
“रँगे हाथों ! कौन है वह हमारा दुश्मन ?” उतावले होकर उमाकांत बाबू ने पूछा।
रामप्रसाद ने एक कोने में हाथों में रस्सियाँ बांध कर खड़ा किया हुआ उनका चचेरा भाई दिखा दिया ।
“यह तो भगवान का शुक्र है कि यह आदमी अपने षड्यंत्र में कामयाब नहीं हो पाया। सारी सब्जियाँ सुरक्षित हैं । केवल इतना ही नहीं ,इस दृष्ट का छोटा भाई एक घंटे से बरातियों के बीच जाकर हाहाकार मचा रहा है कि बरातियों के लिए तो खाना कम पड़ गया है । जल्दी-जल्दी खा लेना वरना फिर खाने को नहीं मिलेगा। ”
हलवाई की बात में सार था। सचमुच जयमाल पड़ी भी नहीं थी कि बराती खाने पर टूट पड़े थे। कुछ तो खाने की कमी थी , कुछ बरातियों की संख्या भी ज्यादा थी । लेकिन कुछ अफरा-तफरी इन दुष्टों ने मचाई है ।
सोचते-सोचते उमाकांत जी के मन में क्रोध के न जाने कितने बवंडर आए । लेकिन उन्होंने सब को जाने दिया । शांत भाव से इतना ही कहा ” भगवान भली करेगा ”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451