भगवान ब्रह्मा जी से संवाद
हे ब्रह्मदेव आप समस्त सृष्टि के रचयिता है, ऐसा मैं नहीं बल्कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोग कहते हैं। ब्रह्माजी आपने इंसानों को 4 वर्गों में बांटा है। हिंदू धर्म के धर्मगुरु ऐसा कहते हैं। क्या यह बात सत्य है ? अगर यह बात सत्य है तो फिर आपने इंसानों को 4 वर्ग में क्यों बांटा ? कुछ धर्मगुरु कहते हैं कि आपने अपने शरीर से इंसानों को पैदा किया है। आपने अपने मुख से ब्राह्मण, भुजाओं से क्षत्रिय, कमर वाले भाग से वैश्य और पैरों से शूद्रों को पैदा किया है। ब्रह्मा जी आपको ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि आपने अपने ही शरीर से इंसानों की उत्पत्ति कर डाली। जब आप सृष्टि के रचयिता हैं तो फिर आपने सिर्फ इंसानों को ही अपने शरीर से क्यों उत्पन्न किया ? क्या अन्य जीवों के साथ आपने भेदभाव नहीं किया ?
हे ब्रह्मदेव आप भगवान होने उसके बावजूद भी आप निष्पक्ष होकर नहीं सोच पाए ऐसा क्यों ? हिंदू शास्त्रों में हमने पढ़ा है कि आप चार शादियां करने के बाद भी अपने द्वारा बनाई गई विद्या की देवी सरस्वती पर आप मोहित हो गए थे। आखिर आप एक सामान्य इंसान तो नहीं थे। इसके बावजूद भी आप अपने ही द्वारा बनाई गई सरस्वती पर कैसे मोहित हो सकते हो ? हे ब्रह्मदेव आंखें खोलो मैं आपसे ही संवाद कर रहा हूं। आप मेरे सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं ?
हे विष्णु पुत्र ब्रह्मा जी जब आपने अपने शरीर से इंसानों की उत्पत्ति की तो फिर आपने अपने ही बच्चों के साथ भेदभाव क्यों किया ? आखिर आपने उन्हें कर्म के आधार पर क्यों बांट दिया ? आपने अपने बड़े पुत्र को सब कुछ क्यों दिया और अपने सबसे छोटे पुत्र को इतने अत्याचार और पीड़ा क्यों दी ? आप सच में सृष्टि के रचयिता है तो मेरा आपसे निवेदन है अपने छोटे पुत्र पर हुए सदियों से अत्याचार का न्याय करें। हे ब्रह्मदेव मेरे सवालों से आप नाराज मत होना। मैं भटकता आप ही का एक भक्त हूं।
हे सृष्टि के रचयिता और स्वामी मेरी करुणा सुनो। मेरे प्रश्नों का मुझे जवाब दो। अन्यथा मैं समझ लूंगा कि आप सच में सृष्टि के रचयिता हो ही नहीं। हे ब्रह्मदेव कृपा करो और आंखें खोल मुझसे संवाद करो। कुछ लोग कहते हैं कि आपकी हरकतों की वजह से आपकी पूजा नहीं होती है। आखिर आपने ऐसी क्या हरकत की ? मैं जानना चाहता हूं। हे स्वामी मुझे बताओ। मैं आपकी शरण में आया हूं। हे देव! आप भगवान हो मगर आपका रूप तो इंसानों ही जैसा है। क्या भगवान भी इंसानों की तरह दिखते हैं ? अगर भगवान इंसानों की तरह दिखते हैं तो फिर भगवानों का अन्य जीव के साथ यह कैसा भेदभाव है ? भगवान ने सिर्फ इंसानों का ही रूप क्यों धारण किया ? क्या भगवान गधा, गीदड़, सूअर, गेडा का रूप धारण नहीं कर सकता ? अगर कर सकता है तो फिर हम भगवान को सिर्फ मनुष्य के रूप में क्यों पूजते हैं ? अगर भगवान सभी जीवों में है तो फिर हमें मुर्गी, बकरी इत्यादि चीज खाना बंद कर देना चाहिए।
हे प्रभु! मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए। इस कदर आंखें बंद करके ना बैठो अन्यथा मैं मान लूंगा कि आपका कोई अस्तित्व ही नहीं है। आप सिर्फ काल्पनिक है और कुछ लोगों ने आपको अपने स्वार्थ और अपनी सर्वश्रेष्ठता स्थापित करने के लिए बनाया है। हे ब्रह्मदेव अगर मेरे सवालों से आपका मन दुखी हुआ हो तो मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
– दीपक कोहली