भगवान की परिकल्पना
कमजोर
असहाय
मंदबुद्धि
कर्महीन
आलसी
लोगों का मार्ग है तथाकथित धर्म.
कुछ चालाक लोग के लिए.
बचने का मार्ग ..भी,
कूडेदान की तरह इस्तेमाल
गलतियां करके भगवान को जिम्मेदार बताना.
इसी का उदाहरण है !
स्वाभाविक प्रक्रिया में मृत्यु.
भगवान की मर्जी.
उसने ऐसा ही लिखा वा सोचा था.
इतने ही दिन का साथ था.
जबकि ये सब स्वाभाविक प्रक्रिया.
.
एक जिम्मेदार/जवाबदेह इंसान
खुद पर जिम्मेदारी लेता है.
और छाती पीट पीट कर कहता है.
हाँ …मेरे कारण हुआ.
अधिकतर लोग यांत्रिक/मैकेनिकल तरीकें से भक्तिभाव में ठोकरें खाते है.
लेकिन खुद को स्वावलंबी नहीं बनाते !
जिम्मेदारी से भागते है.
डर का सामना नहीं करते
भागते है…या फिर लड़ते है.
डर यानि खौफ के प्रति अनुभव नहीं बनाते,
सम्मोहन ही तोड़ना है
शेष खुद पे खुद ….परमार्थ आपका आभूषण ?
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस