*भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती.
किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में मेरा साथ छोड जाऐंगी.! किस धन का मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा..!! किस तन पे मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा..!!
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भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती… और यदि सजा हो जाये तो जमानत नहीं होती…. भगवान मेरा ये सम्बन्ध सबसे हमेशा बनाए रखेमैं कैसा हूँ* मुझे नहीं मालूम।लेकिन~*
*मुझे मिला हुआ हर व्यक्ति, बहुत ही अच्छा है,
मै उनका ह्रदय से सम्मान करता हूँ..! ?
?GOOD MORNING?
परमात्मा आपकी हर मनोकामना पूरी करें*
शुभप्रभात