भगवान का व्यापार
जिसने बनाया है ये सारा संसार,
उसी को लोगो ने बना लिया है व्यापार,
पढ़ लिखकर अब लोग पंडित हुआ करते हैं,
दो अक्षर जो समझकर पढ़ ले अरबी के,
उनसे लोग अपनी किस्मत बदलने की दुआ करते हैं,
भूल गए हैं सारे गीता ज्ञान और पवित्र क़ुरआने आयत को,
बस चले गर इंसान का तो सबकी खुद की एक अदालत हो,
जिसमे खुद ही गुनाहगार,सुबूत, और खुद ही सब गवाह हो,
और बड़े से बड़ा अपराध करके भी गुनाहगार व इज्जत रिहा हो,
हर गली हर नुक्कड़ पे ईश्वर और अल्लाह को बिठाया है,
व्यापार चले दमदार तभी हर दरवाजे पे दानपात्र लगाया है,
ताक पे रख दिया है आज लोगों ने अपने मालिक और भगवान को,
शौक ए अहंकार में भूल गया है इंसान ही आज इंसान को,