भगतसिंह की क़लम
आंसू में लहू मिलाकर
लिखे हैं गीत हमने
प्यार में चोट खाकर
लिखे हैं गीत हमने…
(१)
अपने दौर के सभी
जलते हुए सवालों पर
दूसरों को चुप पाकर
लिखे हैं गीत हमने…
(२)
दर्द-ए-जाना से लेकर
दर्द-ए-जमाना तक
सारे दर्द जगाकर
लिखे हैं गीत हमने…
(३)
कहीं मारे घुटन के
दम ही निकल न जाए
बंदिशों से घबराकर
लिखे हैं गीत हमने…
(४)
तख्त और ताज की
साज़िश से होने वाले
कितने ख़तरे उठाकर
लिखे हैं गीत हमने…
(५)
कोठरी से भगतसिंह की
हुई थी जो बरामद
वही कलम ले आकर
लिखे हैं गीत हमने…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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