भक्ति -गजल
परमात्मा है सबकी आत्मा के ही अंदर ,
जो तू समझे यही बिश्व का सुन्दर दर |
इंसान से भी ज्यादा विश्वाश में शक्ति ,
भगवान बना देगी तुझको ही तेरी भक्ति|
क्यों लूट पे जीता क्यों पाप कमाता है ,
अपनी ही निगाहों में क्यों गिराता है|
बूंद बूंद से बनता कितना विशाल समुन्द्र,
नेक विचारों से ही बनता आचरण मंदिर |
परमात्मा है सबकी आत्मा के ही अंदर.
रेखा मोहन 25/2/23 पंजाब