बढ़ता ब्लडप्रेशर…
आलेख —
बढ़ता ब्लडप्रेशर और बदलता खानपान
वर्तमान जीवनशैली जहाँ एक तरफ हाई फाई हुई है वहीं दूसरी तरफ अनेक रोगों का जनक भी बनी है। एक समय था जब कुछ भी खाओ, सब हज़म हो जाता था। न घी तेल से परहेज था और न नमक या शक्कर से ।घर पर तीज त्यौहार पर तो पकवान बनते ही थे रोजमर्रा के लिये भी मठरी,लड्डू आदि बनते थे।
अगर तुलनात्मक तरीके से देखें तो उस समय यानि लगभग चालीस साल पहले के लोग यह सब खाकर भी स्वस्थ ,तंदुरुस्त थे।मानसिक रुप से भी स्वस्थ थे।
जबकि आज का युवा उनके मुकाबले थका थका ,तनाव ग्रस्त दिखता है। न एनर्जी दिखती है न फिजीकली फिटनेस।
इसका कारण बदलता रहन-सहन और खान पान है। आज छोटी उमर में ही ब्लडप्रेशर, मेंटली डिस्ऑर्डर नज़र आता है। अतिरिक्त काम आ जाने से चिढचिढा ना आम बात है।
आइये जानते हैं एक साधारण दिखने वाला ब्लडप्रेशर कितना घातक हो सकता है और किस कारण से !!
हाई बी.पी. आज नवयुवाओं में आम होता जा रहा है ।इस पर नियंत्रण न करने और ध्यान न देने से यह जान लेवा भी हो सकता है। बहुत सी ऐसी परिस्थितियां हैं जो अन्जाने बी पी बढ़ा सकती हैं ।जरुरत है उन कारणों को समझने की और ध्यान देने की।
कारण :–
1-नमक :– पुराने समय में सैंधा नमक या साधारण नमक इस्तेमाल हुआ करता था। जिसमें अलग से आयोडीन नहीं मिलाया जाता था। आज विज्ञापन के चलते बाजार का पिसा नमक भोजन में हर घर में उपयोग में लाया जा रहा है।उसम़े क्या केमीकल मिले हैं किस परसेंटेज में मिले हैं नहीं पता।हाई बी पी के लिए यह नमक जिम्मेदार हो सकता है।जानते हुये भी लोग कम नमक वाला भोजन नहीं खा सकते। भोजन म़े ऊपर से नमक डालना नहीं छोड़ते।बाजार के बने स्नेक्स भी नमक से भरपूर होते हैं जिन्हें सब चाव से खाते हैं।
बी पी की शिकायत होने पर या तो इग्नोर करते हैं या डा.द्वारा सजेस्ट की गयी दवाओं को अपने हिसाब से खाते हैं या बिना सलाह लिये दवा बंद कर देते हैं।नियमित एक्सर साइज के लिये भी समय नहीं होता।फलस्वी हाई बी पी की समस्या हार्टअटैक तक पहुँच जाती है।
2–वेटलिफ्टिंग– फिजीकली मूवमेंट न करके युवा जिम ज्वाइन करना ज्यादा उचित समझते हैं।एक्सरसाइज के दौरान वजन उठाने से भी रक्त प्रवाह बढ़ सकता है जो हाई बीपी की समस्या पैदा कर सकता है।युवा अक्सर बिना किसी सलाह के वेटलिफ्टिंग करने लगते है ।पर यह खतरनाक हो सकता है अगर आपका वजन या मोटापा बढ़ा हो तो। अतः जिम में जाने से पूर्व अपना वजन, बी पी लेबल चेक करें और डा.की सलाह अनुसार ही वेटलिफ्टिंग करें।
3–सेलफोन, लेपटाप ….- पहले नं. डायल करने वाले फोन हुआ करते थे और जरुरी बात भर हुआ करती थी। मोबाइल आने से स्वास्थ पर अधिक असर पड़ा है। इससे निकलने वाली रेंज स्वास्थ को प्रभावित करती है।यह प्रमाणित हो चुका है।लेकिन मोबाइल या लेपटॉप वर्तमान का बहुउपयोगी यंत्र हो चुका है ।पत्र की जगह मैसेज ,ओन लाइन मीटिंग ,चैट ,जरुरी दस्तावेज ,रिश्ते नाते और न जाने क्या क्या इस में निभ जाते हैं।लंबी बात करना हृदय के लिये नुक्सान दायक है।अक्सर फोन पर बात करना भी बी पी बढ़ा सकता है या बेसमय बजने वाली रिंगटोन भी बी पी बढ़ा सकती है।विशेषज्ञ लंबी बात करने के बजाय टेक्स्ट मैसेज करना उचित मानते हैं।
4–अचानक हुआ शारीरिक बदलाव–हमारा शरीर किसी भी क्रिया पर प्रतिक्रिया अवश्य देता है।चाहे वह शारीरिक बदलाव हो या मानसिक।अतः किसी भी काम को एकदम शुरु करने की वजाय धीरे धीरे क्रमानुसार उस ओर कदम बढ़ाये चाहे एकसरसाइज हो या वेटलिफ्टिंग या अन्य कोई भी काम।क्यों कि शरीर जिस चीज का आदि हो जाता है उसमें तनिकसा बदलाव झेल लेता है ।अचानक बड़ा बदलाव बी पी बढ़ा सकता है।
5–मोनोपॉज –महिलाओं में बीपी बढ़ने का यह बड़ा कारण है। उनके जीवन म़े यह प्राकृतिक साइकल के समापन का समय होता है। इस दौरान होने वाले हार्मोंस परिवर्तन के कारण महिलाओं में अन्य समस्याओं के साथ हाई बी पी की दिक्कत भी देखी गयी है।उसके साथ ही वजन बढ़ना भी शुरू होता है जो बी पी का दूसरा कारण होता है। शारीरिक क्षमता में कमी आने से काम का दबाव भी बी पी बढ़ाता है।
उपरोक्त कुछ कारण हैं हाई बी पी के जिनका ध्यान रखना जरुरी है। ‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ ध्यान में रखते हुये खानपान , रहन सहन ,शारीरिक एक्टिविटी पर ध्यान दें तो हम हाई बी पी को कंट्रोल कर सकते हैं। पर डा. की सलाह अवश्य लें।
मनोरमा जैन पाखी