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5 Dec 2016 · 1 min read

बड़ी मछली

लघुकथा_

बड़ी मछली

*अनिल शूर आज़ाद

व्यवसायी पिता ने सरोवर के नीले जल में झांक रहे अपने पुत्र को अर्थपूर्ण स्वर में टोका..”देखा..हर बड़ी मछली,छोटी को कैसे खा जाती है!”

युवा पुत्र ने पिता की भावनाओं का खण्डन करते हुए,सरोवर के सुदूर तट पर जल रही चिता दिखाकर कहा..”उधर देखिए..छोटी हो या बड़ी, हर मछली का यही हश्र होता है!”

वातावरण में एक गम्भीर ख़ामोशी पसर गई।

Language: Hindi
303 Views

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