Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2021 · 2 min read

“ब्राह्मण कोई जीव नहीं; ब्राह्मणत्व एक गुण है”

कोई विशेष नहीं, कोई अशेष नहीं
तप की कसौटियों पर खुद को निर्मोही बनाता
भौतिकता के आँगन में भी; सात्विकता का भोग लगाता
अरे बावले!
“ब्राह्मण कोई जीव नहीं ब्राह्मणत्व एक गुण है”
☀️
अगर चाहते हो तुम इसे खत्म करना
सबसे पहले खुद में ढुंढना पड़ेगा एक ब्राह्मण

लांघना पड़ेगा
अलकनंदा और मंदाकिनी के वेग को दो हिस्सों में बाँटता
भीमशीला के विज्ञान को

पढ़ना होगा तुम्हें
राम के प्रेम में बावले तुलसी के उस समर्पण को
जिसने उतार डाला; प्रभु को भोजपत्र और स्याही के मध्य
सबसे बड़े महाकाव्य के व्याकुल पन्नों में
☀️
खुली आँखों से देखना होगा
विराट कृष्ण के सबसे परम मित्र होने के बावजूद गरीब सुदामा के स्वाभिमान को

ढुंढना होगा तुम्हें
शल्य ऋषि का वो शल्यचिकित्सा से पूर्ण विज्ञान
जिसमें क्षमता थी माँ पार्वती के बेटे की कटी गर्दन में हाथी का सिर जोड़; उसे फिर से अमर कर देने की
☀️
खुद में ढूंढना होगा तुम्हें
सब तज ब्राह्मणत्व को हृदय से लगाते गुरु वशिष्ठ
और मानवता के विह्वल पुकार पर
सन्यास को फरसा और तलवार पकड़ाते परशुराम को

तुम्हें ढलना होगा
शंकराचार्य के संकल्पों से होकर
जहाँ अध्यात्म की रीढ़ पर रचे विज्ञान ने
शंखनाद का अधिकार दिया; हिंद के चारों छोर को

तुम्हें ढुंढना होगा
हिमालय के बर्फ पर आज भी
डमरु की थाप पर; जटाओं में लिपटे; नंगे बदन
जटाशंकरों की उस खिलखिलाहट का राज
जिसे जानता है तो बस कैलाश

तुम्हें गढ़ना होगा खुद में
घंटो मंगल-आरती-पुजा कथा में लिपटे 70/80 की उम्र को छुते
साइकिल की पैंडल पर आज भी गर्व से गुजरते उस धैर्य को
जो मुस्कुराता रहता है
आशीष की पोटली लिये-अपने कर्मपथ पर जिये
?
तुम्हें मिलाना होगा खुद को
जंगलों-जलाशयों के बीच जी गये उन तपस्वियों से
जिन्होंने पूर्वजों से मिले ज्ञान-विज्ञान की अमुल्य धरोहरों को लुटेरों से बचाने के लिये
समय रहते अपने कंठों में उतार लिया
संस्कृति से पोषित ज्ञान विज्ञान का विस्तार
और
जाते-जाते थमा गमे किसी योग्य को विरासत
?
अगर सच में तुम चाहते हो ब्राह्मणत्व की समाप्ति ?
तो संकल्प लो
खुद को मिलवा कर रहुँगा
निर्माण समंदर के नीचे हो या लहरों के ऊपर; आज भी हाई टेक्नोलॉजी के नक्शे के बीच जगमगाते उस
अपने प्राचीनतम् भारतीय वास्तु विज्ञान से
☀️
यकीन मानो
जिसे तुम खत्म करना चाहते हो वो बिना कुछ सोंचे
खुद चल पड़ेंगे; खत्म होने की उस एक राह पर
जहाँ विश्व वसुंधरा की शांति के लिये किया जा रहा होगा
अद्भुत हवन
खुद को अर्पण की थाल में सजाये; तप में सीझा हर एक सात्विक मन कह उठेगा
हे श्रृष्टि !
ये रही मेरे हिस्से की
पहली आहुति हाँ पहली आहुति…?

जय जननी ?
© दामिनी ✍? ?

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 2 Comments · 276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या  रिश्ते को इतन
आज कल के दौर के लोग किसी एक इंसान , परिवार या रिश्ते को इतन
पूर्वार्थ
सब कुछ मिले संभव नहीं
सब कुछ मिले संभव नहीं
Dr. Rajeev Jain
लेखनी चले कलमकार की
लेखनी चले कलमकार की
Harminder Kaur
इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं
इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं
gurudeenverma198
बचपन
बचपन
Vedha Singh
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
तुमसे मिलने पर खुशियां मिलीं थीं,
अर्चना मुकेश मेहता
वर्तमान समय में संस्कार और सभ्यता मर चुकी है
वर्तमान समय में संस्कार और सभ्यता मर चुकी है
प्रेमदास वसु सुरेखा
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
सिर्फ उम्र गुजर जाने को
सिर्फ उम्र गुजर जाने को
Ragini Kumari
*याद  तेरी  यार  आती है*
*याद तेरी यार आती है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इस जमाने जंग को,
इस जमाने जंग को,
Dr. Man Mohan Krishna
सपने देखने से क्या होगा
सपने देखने से क्या होगा
नूरफातिमा खातून नूरी
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
राम सीता लक्ष्मण का सपना
राम सीता लक्ष्मण का सपना
Shashi Mahajan
"इबारत"
Dr. Kishan tandon kranti
Radiance
Radiance
Dhriti Mishra
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
Rituraj shivem verma
कभी हक़ किसी पर
कभी हक़ किसी पर
Dr fauzia Naseem shad
विषय - प्रभु श्री राम 🚩
विषय - प्रभु श्री राम 🚩
Neeraj Agarwal
धवल चाँदनी में हरित,
धवल चाँदनी में हरित,
sushil sarna
खोटा सिक्का
खोटा सिक्का
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
■ पांचजन्य के डुप्लीकेट।
■ पांचजन्य के डुप्लीकेट।
*प्रणय प्रभात*
चलो , फिर करते हैं, नामुमकिन को मुमकिन ,
चलो , फिर करते हैं, नामुमकिन को मुमकिन ,
Atul Mishra
சிந்தனை
சிந்தனை
Shyam Sundar Subramanian
2637.पूर्णिका
2637.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"दोस्ती क्या है?"
Pushpraj Anant
साहित्य सृजन .....
साहित्य सृजन .....
Awadhesh Kumar Singh
नफ़रत
नफ़रत
विजय कुमार अग्रवाल
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
चलो संगीत की महफ़िल सजाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...