” ब्रज की होली “
ब्रज की होली ”
खेलत श्याम, जमुन तट होरी। ..!
ग्वाल बाल सँग स्वाँग रचावत,
झूमत करत किलोली।
कोउ अबीर गुलाल उड़ावत,
बाँधि कमरिया झोरी।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
गोपिन कै सँग दरस राधिका,
ग्वाल करत बरजोरी।
सब मिलिकै हुड़दंग मचावत,
बाँसुरि श्यामहिँ तोरी।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
श्याम कै पास जु जात लजावत,
छाँड़ि कोऊ नहिं कोरी।
रँग कितैक चढ़े हैं सुहावत,
पियरी चुनरिया मोरी।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
भँग के रँग माँ चँग जु आवत,
बहियाँ मोरि मरोरी।
भरि-भरि रँग पिचकारि चलावत,
भीजी अँगिया मोरी।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
लाज न नेकहुँ चित्त माँ लावत,
बिहँसि करै जु ठिठोली।
कोउ मतँग मृदँग बजावत,
झाँझ, मँजीरा कोई।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
ढोल की थाप पै ग्वाल नचावत,
तान माँ गावत कोई।
कुमकुम थाल माँ कोउ सजावत,
करत जु कोउ चिरौरी।
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
बाद बरस कै परब जु आवत,
तनिक न कोउ सबूरी।
देवनवृन्द सुमन बरसावत,
धन्य श्याम की होरी..!
खेलत श्याम, जमुन तट होरी…!
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रचयिता-
Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine),DTCD
Ex.Senior Consultant Physician,district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,sri Dwarika hospital,near sbi Muhamdi,dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964