बौराये-से फूल /
लगे फुनगियों
पर,वसंत के
बौराये-से फूल ।
चटकी कलियाँ
आर्द्र लताएँ,
हिमपातों की
करुण कथाएँ,
लिए साथ में
कुरित बदरिया,
वर्षा,आँधी,धूल ।
कटन-पूर्व ही
सौंसर खेती,
रमण नदारद
नीरस-रेती,
भटक,जवानी
जीवन-पथ से
करे भूल पर भूल ।
डरी टहनियाँ,
सहमे पत्ते,
मौसम के खा-
खा कर गच्चे,
क्षुब्ध नदी है,
तेज़ लहर है,
घबराए हैं कूल ।
लगे फुनगियों
पर,वसंत के
बौराये-से फूल ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
छिरारी (रहली),सागर
मध्यप्रदेश – 470227
मो. – 8463884927