बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
शृंगार छन्द
16मात्रा/आरंभ में त्रिकल, द्विकल फिर त्रिकल अनिवार्य
बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
सदा शिव की मस्ती में डोल।
पुण्य सावन का आया माह।
पूर्ण होगी तेरी हर चाह।
लिए काँवड़ का कांधे भार।
चलो शिव शंकर जी के द्वार।
भक्ति रस को मन में लो घोल।
बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
पूजता जिनको यह संसार।
नहीं पाया है उनका पार।
धरो औघढ़दानी का ध्यान।
भक्त पाता मनचाहा दान।
जपो अंतर पट अपना खोल।
बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
लगाकर अपने तन पर भस्म।
निभा लो थोड़ा ये भी रस्म।
हाथ में डमरू लेकर नाच।
जगत में शिव की महिमा बाँच।
भला इस जीवन का क्या मोल।
बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
जोगिया का धर कर के भेष।
सजा कर अपना रूप विशेष।
रिझा कर भोले को तू देख।
बदल जाये किस्मत की लेख।
मिलेगा तुमको सुख अनमाेल।
बोल बम-बम कांवड़िया बोल।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली